मराठा साम्राज्य के पतन के कई कारण थे। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद मराठा भारत के भाग्य निर्माता के रूप में समझे जाने लगे थे। किन्तु वह शीघ्र ही पतन के मार्ग पर चल पड़े।
अंग्रेजों के विरुद्ध मिली एक के बाद एक पराजयों ने मराठों का पतन कर दिया। इनके पतन के कारण निम्नलिखित हैं।
1-संगठन का अभाव
मराठा राज्य एक राज्य न होकर संघ-राज्य था। पेशवा माधवराव प्रथम के बाद यह संघ राज्य बिखर गया। सिंधिया, होल्कर और गायकवाड़ जैसे मराठा सरदार स्वतन्त्र शासक की भाँति व्यवहार करने लगे और आपस में ही झगड़ने लगे। सिंधिया और होल्कर की प्रतिद्वन्दिता अन्त तक बनी रही।
गायकवाड़ अंग्रेजों का मित्र बन गया और अन्त तक अंग्रेजों एवं मराठों के युद्ध में तटस्थ रहा। भोंसले ने भी कभी मिलकर कार्य नहीं किया। इससे मराठा शक्ति कमजोर हो गयी। और पतन की ओर अग्रसर होती चली गयी।
2-अर्थ का अभाव
मराठा साम्राज्य बलपूर्वक एकत्रित की गई धनराधि पर निर्भर था। मराठों के अपने आय के साधन सीमित थे। उत्तरकालीन युद्धों में मिली पराजय के कारण देश की अर्थ व्यवस्था बिगड़ गई। ऊपर से 1804 ई. में दक्कन में भीषण अकाल पड़ा। जिसका मराठा साम्राज्य की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा।
3-कूटनीतिक असफलता
अंग्रेज कूटनीति में मराठों से अधिक योग्य थे। मराठों की कूटनीतिक असफलता इस बात से स्पष्ट होती है। कि वे भारत के मुसलमान शासकों को तो क्या राजपूत और जाट शासकों को भी अपने साथ नहीं मिला सके। बल्कि उन्हें असन्तुष्ट ही कर दिया। अतः मराठा अंग्रेजों से अकेले लड़े और पराजित हुए।
4-सैनिक अकुशलता
मराठों के पास प्रशिक्षित सैनिक, आधुनिक हथियार और बारूद का अभाव था। अंग्रेजों की तुलना में मराठों का सैनिक संगठन निश्चय ही दुर्बल था। जो उनके पतन का कारण बना।
5-जागीरदारी व्यवस्था
मराठों में जागीरदारी व्यवस्था का आरम्भ तब हुआ, जब प्रत्येक मराठा सरदार को अपने द्वारा जीती हुई भूमि का स्वामी स्वीकार कर लिया गया। पेशवा बाजीराव प्रथम ने इस व्यवस्था को बन्द करने का प्रयास किया। किन्तु वह सफल न हो सका। प्रत्येक मराठा सरदार अपनी-अपनी जागीरों का एकछत्र स्वामी हो गया जिसके कारण मराठा-संघ राज्य की स्थापना हुई और मराठा राज्य की एकता नष्ट हो गई। अतः जागीरदारी प्रथा के फलस्वरूप मराठों में आर्थिक व सैनिक दुर्बलता आ गई।
इस प्रकार अंग्रेजों सुगठित व कुशल सैनिक व्यवस्था, श्रेष्ठ नेतृत्व, विवेकपूर्ण कूटनीतिक युक्तियां तथा पर्याप्त युद्ध सामग्री के समक्ष मराठा शक्ति बिखर गई। मराठों की व्यक्तिगत स्वार्थपरता ने मराठों के विवेक और साहस को मिटा दिया था।
Q-किस व्यवस्था ने "संगठित मराठा साम्राज्य" को असंगठित समूह में बदल दिया?
@-जागीरदारी या सरंजामी व्यवस्था ने
Q-मोड़ी लिपि का प्रयोग किसके लेखों में किया गया?
@-मराठों के
Q-मराठा साम्राज्य में "पतदाम" क्या था?
@-विधवा पुनर्विवाह कर
Good post
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