भारत का प्रधानमंत्री|Prime Minister of India

संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि शासन की वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के हाथ में होती है। वह मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है। प्रधानमंत्री ही मंत्रिपरिषद निर्माण एवं संचालन करता है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति


प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। अनुच्छेद-75(1) के अनुसार, राष्ट्रपित प्रधानमंत्री पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करेगा जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो।


प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को संसद के किसी सदन का सदस्य होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं है प्रधानमंत्री नियुक्त हो सकता है। किन्तु उसे नियुक्ति तिथि से 6 माह के अन्दर संसद का सदस्य बनना अनिवार्य है। यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे इस्तीफा देना होगा।

प्रधानमंत्री की पदावधि


 सैद्धान्तिक रूप से प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपना पद धारण करता है। अनुच्छेद-75(2) के अनुसार प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपना पद धारण करेंगे। किन्तु व्यवहारिक रूप में प्रधानमंत्री तब तक अपने पद पर बना रहता है जब तक उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त है।

प्रधानमंत्री की पदावधि

सामान्यता प्रधानमंत्री पुनः चुनाव के पश्चात नयी मंत्रिपरिषद के गठन तक अपने पद पर बना रहता है।

प्रधानमंत्री का पद मुक्त या पदच्युत होना


 यदि प्रधानमंत्री चाहे तो वह राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है। अथवा लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद उसे त्याग पत्र देना पड़ता है यदि वह ऐसा नहीं करता है तो राष्ट्रपति द्वारा उसे पदच्युत किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री के अधिकार एवं कार्य


अनुच्छेद-53 के अनुसार संघ की समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। अनुच्छेद-74 के अनुसार जिसका प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सहायता करेगा।

प्रधानमंत्री के अधिकार

प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है। अतः व्यवहारिक रूप में प्रधानमंत्री भारतीय शासन प्रणाली का सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी होता है।

प्रधानमंत्री को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं।
1-मंत्रिपरिषद का गठन राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श पर करता है।
2-मंत्रिपरिषद के गठन बाद प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल का गठन करता है। मंत्रिमण्डल के गठन में उसे स्वविवेकाधिकार प्राप्त है।
3-मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
4-प्रधानमंत्री को विभागों के आवंटन एवं परिवर्तन का अधिकार प्राप्त है।
5-वह किसी मंत्री से त्यागपत्र मांग सकता है। या पदच्युत करने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है।
6-प्रधानमंत्री शासन के सभी विभागों में समन्वय स्थापित करता है। इसके लिए  वह मंत्रियों के विभागों और उनके कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है।
7-विदेश नीतियों का निर्धारण मुख्य रूप से प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। प्रधानमंत्री महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है।
8-प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रधान होता है अतः उसके किसी भी तरह पद से हटते ही मंत्रिपरिषद विघटित हो जाती है।
9-प्रधानमंत्री नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है।
10-अनुच्छेद-78 के अनुसार प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह प्रशासन सम्बन्धी व विधान सम्बन्धी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय राष्ट्रपति को सूचित करें।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.