मौर्य साम्राज्य का पतन अशोक के बाद प्रारम्भ हो गया और 185 ईसा पूर्व आते आते इसका पूर्णतः पतन हो गया। 232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य उत्तराधिकारियों के नाम स्पष्टता प्राप्त नहीं होते हैं।
विभिन्न स्रोतों से कुछ शासकों के नाम मिलते हैं-- कुणाल, सम्प्रति, दशरथ, देवधर्मन, शतधनुस तथा वृहद्रथ। वृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था। इसकी हत्या 185 ईसा पूर्व में इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी।
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण
मौर्य साम्राज्य का पतन किसी एक कारण से नहीं हुआ। इसके पतन के लिए कई कारण जिम्मेदार थे। विद्वानों ने इस साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण बताये हैं।
1-ब्राह्मण विरोधी नीति
पंडित महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री ने अशोक की ब्राह्मण विरोधी नीति को मौर्यवंश के पतन के लिये उत्तरदायी ठहराया है।
उनके अनुसार, अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करना तथा उसके पक्ष में प्रचार आदि करने के कारण ब्राह्मणों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई। जिसकी परिणति वृहद्रथ की हत्या में दिखाई देती है। किन्तु इस मत का हेमचन्द्र चौधरी ने खण्डन कर दिया।
2-अशोक की अहिंसावादी नीति
हेमचन्द्र चौधरी के अनुसार अशोक की अहिंसावादी नीति मौर्य साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण थी।
3-आर्थिक संकट
डी. डी. कौशाम्बी के अनुसार अत्यधिक करों के कारण मौर्यों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।
4-शासन का अतिकेन्द्रीकरण
रोमिला थापर ने मौर्य साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण अतिकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था को माना है। तथा अधिकारी भी अप्रशिक्षत थे। जिसके कारण इसका पतन हो गया।
5-उत्तर-पश्चिमी सीमावर्ती प्रान्तों की उपेक्षा
अशोक मुख्य रूप से अपने धर्म प्रचार में व्यस्त रहा। अतः उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त की गतिविधियों की ओर ध्यान नहीं दे पाया। जिससे इनकी स्थिति कमजोर हो गयी। अशोक के बाद हिन्द यवन, शक, कुषाण आदि का आक्रमण इसी सीमा पर हुआ।
6-दुर्बल उत्तराधिकारी
मौर्य साम्राज्य के पतन का सबसे प्रमुख कारण था। अशोक के दुर्बल उत्तराधिकारी। इतने विशाल साम्राज्य को संभालने के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक जैसे योग्य उत्तराधिकारियों की आवश्यकता थी। जिसका अशोक के बाद नितान्त अभाव रहा।
महाकवि वाण ने हर्षचरित में लिखा है कि सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अपने स्वामी वृहद्रथ मौर्य को सेनाओं का निरीक्षण कराते समय कुचल डाला, क्योंकि वह राज्य शपथ निभाने में असमर्थ था।
7-प्रान्तों में दमनकारी शासन
मगध साम्राज्य में ज्यादातर प्रान्तीय शासक भ्रष्ट व दमनकारी थे। बिन्दुसार के शासन काल में तक्षशिला के नागरिकों ने इन शासकों के विरुद्ध विद्रोह किया था। इस भ्रष्टता को समाप्त करने के लिए अशोक ने तोलसी, उज्जैन तथा तक्षशिला के अधिकारियों के स्थानान्तरण की परिपाटी चलाई तथा उनके स्वयं 256 रातें धम्मयात्रा में बिताईं ताकि प्रशासन व्यवस्था में सुधार हो जाये।
इतना सब होने के बाद भी दूरगामी प्रान्तों में दमनकारी शासन का अंत न हो सका। अतः जनता धीरे धीरे विरोध में आ गयी।
इस प्रकार उपर्युक्त सभी कारणों ने मिलकर मौर्य साम्राज्य का पतन कर दिया। इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण था-- अयोग्य उत्तराधिकारियों का होना।
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