Q-विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रंखला कौन सी है?
@-हिमालय पर्वत श्रंखला विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रंखला है। इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 600 मीटर है। भारत की यह पर्वतमाला पश्चिम-पूर्व दिशा में सिन्धु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक 2400 किलोमीटर लम्बी है। इसकी चौड़ाई पश्चिम में 400 किमी. तथा पूर्व 160 किमी. है। भारत में इस पर्वत श्रंखला का विस्तार 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।
Q-हिमालय पर्वत श्रेणी का विस्तार कितनी देशांतर रेखाओं के मध्य मिलता है।
@-इस श्रंखला का फैलाव 22 देशांतर रेखाओं के मध्य मिलता है। इसके उत्तर में तिब्बत का पठार तथा दक्षिण में सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का विशाल मैदान है।
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Q-हिमालय पर्वत श्रंखला उदाहरण है?
@-वलित पर्वत श्रंखला का। भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा तथा नवीन मोड़दार पर्वत माला है।
Q-हिमालय की सभी श्रेणियों का उत्थान किस काल में हुआ?
@-हिमालय की सभी श्रंखलाओं का उत्थान टर्शियरी काल के विभिन्न युगों में हुआ। यह पर्वतमाला अभी भी निर्माणाधीन अवस्था में है। इस बात का प्रमाण इस क्षेत्र में भूकम्पों का निरन्तर आते रहना है।
Q-हिमालय पर्वतमाला की सबसे प्राचीनतम श्रेणी कौन सी है?
@-वृहद या महान हिमालय इसकी सबसे प्राचीनतम श्रेणी है। इसका निर्माण ओलिगोसीन युग में हुआ। इसके बाद लघु हिमालय श्रेणी का निर्माण मध्य मायोसीन युग में तथा सबसे नवीनतम शिवालिक श्रेणी का निर्माण प्लायोसीन युग में हुआ।
Q-हिमालय पर्वत श्रंखला का ढाल किस प्रकार का है?
@- इस पर्वत श्रंखला का ढाल तिब्बत की ओर नतोदर (Concave) तथा भारत की ओर उन्नत्तोदर (Convex) प्रकार का है।
Q-हिमालय से निकलने वाली सभी नदियां सतत वाहिनी होती हैं क्योंकि
@-नदियों के उदगम स्रोत हिमानियों में स्थित होते हैं। यहाँ पर स्थित विशाल हिमखण्ड निरन्तर पिघलते रहते हैं। जिससे नदियों में जल प्रवाह सतत बना रहता है।
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Q-हिमालय पर्वत श्रेणी का पर्वत पदीय प्रदेश किसे कहा जाता है?
@-शिवालिक श्रेणी के दक्षिणी भाग को पर्वत पदीय प्रदेश कहा जाता है। ये हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणियां है।
Q-हिमालय पर्वत श्रंखला में ऊंचाई बढ़ने के साथ वनस्पति तथा जैव-विविधता में क्या परिवर्तन आता है?
@-ऊंचाई बढ़ने के साथ वनस्पति तथा जैव-विविधता में कमी देखने को मिलती है। इस कमी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
●ऊंचाई के साथ तापमान में गिरावट
●वर्षा में परिवर्तन
●मिट्टी का अनउपजाऊ होना
●वायुमंडलीय दबाव कम होना
●हवा का हल्का होना
●भू-क्षेत्र का कम होना
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