वसा के कार्य|function of fat

कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन की तरह वसा भी शरीर की प्रत्येक कोशिका तथा तन्तु में उपस्थित रहती है। शरीर में वसा के पाचन, शोषण तथा ऑक्सीकरण में अनेक एंजाइम तथा हॉर्मोन्स भाग लेते हैं, जिससे कि वसा का कार्य सुचारू रूप से चल सके। वसा के जीव शरीर में निम्नलिखित कार्य होते हैं।

शरीर में ऊर्जा के कार्य

शरीर को परिश्रम के समय ऊर्जा प्रदान करना।

आहार में वसा से अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है। 1ग्राम वसा से 9कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है जबकि 1ग्राम प्रोटीन तथा 1ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4कैलोरी ऊर्जा ही प्राप्त होती है। इस प्रकार वसा ऊर्जा के सांद्र स्रोत हैं।
शरीर में ऊर्जा के स्रोत के रूप में संचित रहना।

शरीर में वसा, वसीय ऊतकों (adipose tissues) के रूप में त्वचा के नीचे जमा रहती है। आवश्यकता पड़ने पर यह ऑक्सीकृत होकर ऊर्जा प्रदान करती है। आहार में कार्बोहाइड्रेट तथा अमीनो अम्लों की अधिकता होने पर ये वसा में परिवर्तित होकर शरीर में वसीय ऊतकों के रूप में जमा हो जाते हैं। अतः आहार में अधिक कार्बोहाइड्रेट व अमीनो अम्लों का प्रयोग उचित नहीं होता।

शरीर के कोमल अंगों की बाहरी आघातों से रखा करना।

शरीर में ऐसे कई कोमल अंग होते हैं जिन्हें बाहरी प्रहारों से हानि पहुँच सकती है जैसे-- हृदय, फेफड़े तथा वृक्क आदि। इन समस्त अंगों पर वसा की दोहरी पर्त चढ़ी रहती है। जो समय-समय पर इन कोमल अंगों की बाहरी आघातों से रक्षा करती है।

शरीर के तापक्रम को नियन्त्रित करना।

त्वचा के नीचे वसा की पर्त होती है जो ऊष्मा की कुचालक होती है। इस प्रकार वसा शरीर के लिए इन्सुलेटर का कार्य करती है। इन्सुलेटर होने के कारण यह शरीर के तापक्रम को जल्दी परिवर्तित नहीं होने देती है। अतः वसा शरीर का तापक्रम नियंत्रित रखती है।
विटामिन का शोषण आसान करना।

कुछ विटामिन जैसे-- A, D, E, K आदि वसा में घुलनशील होती हैं। वसा के अभाव में इन विटामिन्स का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता है। जिससे शरीर में विटामिन्स की कमी से सम्बन्धित रोग हो जाते हैं। अतः वसा शरीर में विटामिन्स के अवशोषण को आसान बनाती है।

शरीर को आवश्यक वसीय अम्ल प्रदान करना।

शरीर में कुछ वसीय अम्ल उत्पन्न नहीं हो पाते है। किन्तु जैविक क्रियाओं के सुचारू रूप से संचालन के लिए शरीर में इनकी उपस्थिति अनिवार्य होती है। आवश्यक वसीय अम्लों की कमी से त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते हैं। अतः आहार में प्रतिदिन आवश्यक वसीय अम्लों की उचित मात्रा लेना आवश्यक है।
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प्रोटीन के स्थान पर शरीर को ऊर्जा प्रदान करना।

प्रोटीन शरीर निर्माण का कार्य करने के अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करने का कार्य भी करती है। किन्तु तब जब कार्बोहाइड्रेट और वसा की उचित मात्रा आहार में उपस्थित न हो। आहार में वसा की पर्याप्त मात्रा होने पर प्रोटीन ऊर्जा प्रदान करने का कार्य नहीं करती, इस प्रकार वसा शरीर को प्रोटीन के स्थान पर ऊर्जा प्रदान करती है।

शरीर में पाचक रसों के स्राव को कम करना।

पाचक रस कम मात्रा में उत्पन्न होने से आमाशय देर से खाली होता है। जिससे भूख कम लगती है।
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●वसा आमाशयिक अंगों को चिकना करने का कार्य करती है। जिससे क्रमाकुंचन गति ठीक प्रकार से होती है।

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