पर्यावरण संरक्षण के उपाय|environmental protection measures

पर्यावरण व्यापक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण आता है। इसके अंतर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक संपदा आदि सभी आते हैं।

Paryavaran sanrakshan upay

आज पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य और जिम्मेदारी है। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं, जो अति घातक हैं, जैसे आणविक विस्फोटों से उत्पन्न रेडियोधर्मिता का आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढ़ना, ओजोन परत की हानि, भूक्षरण आदि।

प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल, वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं वनस्पतियों का विनष्ट होना, मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं।

जल प्रदूषण, वायु और ध्वनि प्रदूषण तीनों ही मनुष्य व अन्य जीवों के स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं। ऋतुचक्र का परिवर्तन, कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना हिमखंड को पिघला रहा है। सुनामी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि या अनावृष्टि जैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखते हुए अपने बेहतर कल के लिए '5 जून' को प्रतिवर्ष समस्त विश्व में 'पर्यावरण दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

प्रदूषण की समस्याओं से बचने के लिए लिए जरूरी है कि पर्यावरण को स्वास्थ्य व स्वच्छ रखा है। इसके लिए हम निम्नलिखित लिखित उपाय कर सकते हैं। जिससे कि हमारा आने वाला कल उज्ज्वल और स्वास्थ्य हो।

पर्यावरण संरक्षण के प्रमुख उपाय


●जैव विविधता को संरक्षण प्रदान करके जनता को जागरूक करना।
●जलीय संसाधनों की सुरक्षा के उपाय करके जनता को जागरूक करना।
●खनिज संसाधनों की सुरक्षा के उपाय करके जनता को जागरूक करना।
●वन विनाश की समस्या से निपटना, भूक्षरण, मरुस्थलीकरण तथा सूखे के बचावों के प्रस्तावों को जनता के समक्ष रखना।
●गरीबी की निवारण तथा पर्यावरणीय क्षति की रोकथाम करके जनता को जागरूक करना।
●विशाक्त धुआँ विसर्जित करने वाले वाहनों पर रोक लगाकर जनता को जागरूक करना।
●पर्यावरण की सुरक्षा के विषय में जनता को मीटिंग करके बतलाना।
●समुद्र तथा सागरीय क्षेत्रों की रक्षा करना एवं जैविकीय संसाधनों का उचित उपयोग एवं विकास के उपाय बताकर जनता को जागरूक करना।
●जैव तकनीकी तथा जहरीले अपशिष्टों के लिए पर्यावरण संतुलन प्रावधान की व्यवस्था करना।
●पर्यावरण जागरूकता को वैश्विक रूप प्रदान करना।
●पर्यावरण से संबंधी आंदोलनों को मान्यता प्रदान करना।
●शिक्षा द्वारा जनचेतना पर बल देना।
●शिक्षा द्वारा पर्यावरण के अध्ययन की आवश्यकता पर बल देना।
●पर्यावरण जागरूकता के सामाजिक और भौतिक विज्ञानों के अध्ययन पर विशेष बल देना।
●पर्यावरण सुरक्षा हेतु राज्य एवं केन्द्रीय स्तर पर विशेष प्रावधानों का निर्माण करना।
●पर्यावरण सुरक्षा के संबंधित नियम कानूनों को सख्ती से लागू करना।
●समय-समय पर पर्यावरण सुरक्षा हेतु सेमिनार, कार्यशालाओं का आयोजन करना।
●पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित सूचना को सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से सामान्य जनता तक पहुंचाना।
इस प्रकार उपरोक्त बिन्दुओं के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है।


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