धनलोलुप और भ्रष्टाचारी व्यवसायियों द्वारा खाद्य पदार्थों में अशुद्ध, सस्ती अथवा अनावश्यक वस्तुओं को मिश्रित करना अपमिश्रण या अपद्रव्यीकरण या मिलावट कहलाता हैं। छोटे-बड़े अनेक खाद्य व्यापारी अधिक लाभ पाने के लिए नाना प्रकार की युक्तियों से घटिया वस्तु को बढ़िया बताकर ऊँचे दाम पर बेचने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार का व्यापार समाज के सभी वर्गों में कम या अधिक मात्रा में व्याप्त है। जिससे जनता को उचित मूल्य देने पर भी घटिया खाद्य सामग्री मिलती है और उससे स्वास्थ्य की हानि भी होती है।
खाद्य व्यवसायियों का यह अनैतिक एवं समाज विरोधी आचरण संसार के सभी देशों में पाया जाता है, किंतु अशिक्षित, निर्धन और अल्पविकसित देशों में यह अधिक देखने को मिलता है। दूध, घी, तेल, अन्न, आटा, चाय, काफी, शर्बत आदि महँगे तथा पोषक पदार्थों में अधिकतर अपमिश्रण किया जाता है जिससे उनकी उपयोगिता कम हो जाती है।
सदाचारपूर्ण नैतिक शिक्षा अत्यंत उपयोगी साधन होते हुए भी मिलावट रोकने में किसी देश में सफल सिद्ध नहीं हुई है। खाद्य में मिलावट रोकने के लिए कठोर दंडनीति अपनाना आवश्यक है। साधारण धनदंड सर्वथा अपर्याप्त है। परंतु केवल दंडनीति से भी काम नहीं चलता। जनमत जागरण की भी आवश्यकता है।
दूध में जल, घी में वनस्पति घी अथवा चर्बी, महँगे और श्रेष्ठतर अन्नों में सस्ते और घटिया अन्नों आदि के मिश्रण को साधारणतः मिलावट या अपमिश्रण कहते हैं। खाद्य पदार्थ के उत्पादन, निर्माण, संचय, वितरण, वेष्टन, विक्रय आदि से संबंधित वे सभी कार्य जो उसके स्वाभाविक गुण, सारतत्व अथवा श्रेष्ठता को कम करनेवाले हैं, अथवा जिनसे ग्राहक के स्वास्थ्य की हानि और उसके ठगे जाने की संभावना रहती है, अपद्रव्यीकरण या अपनामकरण द्वारा सूचित किए जाते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे भोजन की आवश्यकता होती है। अच्छे आहार का तात्पर्य पौष्टिक आहार से है, जो प्रोटीन तथा विटामिन युक्त होता है। खाद्य पदार्थों में मिलावट से पोषक तत्वो का ह्रास हो जाता है। इससे शरीर को नुकसान भी पहुंचता है। मिलावट होने से खाद्य पदार्थों में अशुद्धता तथा अपौष्टिकता की स्थिति उत्पन्न होती है। खाद्य पदार्थों में मिलावट होने से शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।
खाद्य मिलावट का अर्थ|Meaning of food adulteration
मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके प्रभाव से खाद्य पदार्थों की प्रकृति, गुणवत्ता तथा पौष्टिकता में अन्तर आता है। यह परिवर्तन खाद्य पदार्थों में किसी चीज के मिलाने से या निकालने से हो सकता है। मिलावट उपज फसल काटने के समय, संग्रहित करते समय, परिवहन और वितरण करते समय की जा सकती है। मिलावट भोज्य पदार्थों को दूषित तो करती ही हैं साथ ही साथ उसकी पौष्टिकता में भी कमी ला देती है।
खाद्य मिलावट की परिभाषा|Definition of food adulteration
मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता का स्तर निम्न हो जाता है। मिलावट को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-“खाद्य पदार्थों में कोई मिलता जुलता पदार्थ मिलाने से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता में ह्रास लाने को मिलावट कहा जा सकता है।" खाद्य पदार्थ में मिलावट आकस्मिक व उद्देश्यपूर्ण हो सकती है। उद्देश्यपूर्ण मिलावट अधिक लाभ कमाने के लिए की जाती है तथा आकस्मिक लापरवाही के कारण हो सकती है। जैसें दुर्घटनावश किसी हानिकारक तत्त्व के खाद्य पदार्थ में मिल जाने से ऐसी स्थिति आ सकती है।
मिलावटी पदार्थ क्या है?
मिलावटी पदार्थ वे होते हैं, जो सस्ते आकार प्रकार में महंगे खाद्य पदार्थों के साथ अच्छी तरह मिलाये जा सकें तथा जिसकी पहचान आसानी से न की जा सके। जैसे- छाल, तिनके और पौधों के हिस्से, एक जैसें दिखने वाले बीज, पत्थर, कतरे, मिट्टी के कड़, बीजों का चूरा, बुरादा, चीनी व स्टार्च आदि।
सामान्य मिलावटी पदार्थ|common food adulterant
●खनिज तेल
खनिज तेल मिट्टी तेल की भाँति होते हैं और सस्ते होने के कारण इन्हें अन्य खनिज तेलों में मिला दिया जाता है। इन्हें थोड़ी मात्रा में खाने से भी वसा में घुलनशील विटामिनों जैसे- विटामिन ए, डी, आदि नष्ट हो जाते हैं। खनिज तेल अधिक मात्रा में खाने से आंत्रशोध और वमन हो सकते हैं। फफूँदी की वृद्धि को रोकने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ पर खनिज तेल का लेप किया जाता है। खनिज तेल के इस्तेमाल से स्वास्थ्य को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि यह बहुत विषैले होते हैं। कुछ तेल कैंसर का भी कारण बन सकते हैं।
●केसरी दाल
लतरी या खेसारी एक वनस्पति है जिससे दाल प्राप्त होती है। दुनिया के अनेक राष्ट्रों में इसकी खेती एवं इसका उपयोग प्राचीनकाल से किया जाता रहा है। खेसारी दाल का वानस्पतिक नाम लेथाइरस सेटाइवस एवं अंग्रेजी का नाम ग्रास पी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे लतरी कहते हैं। खेसारी दाल में ODAP नामक जहरीला तत्त्व होता है खेसारी दाल कम कीमत पर मिलने वाली दाल है। इसके उपयोग से पक्षघात व गठिया रोग होता है, इसे कच्चा खाने से तिरुपुट नामक रोग उत्पन्न होता है।
केसरी दाल की अन्य दालों में मिलावट की जाती है। साबुत दालें जैसे- काली मसूर की दाल, काला चना आदि में साबुत केसरी दाल मिलाई जाती है। चने और अरहर की दाल में दली हुई केसरी दाल मिला दी जाती है और पिसी केसरी दाल प्राय: बेसन में मिलाकर बेची जाती है। इस दाल की पैदावार विपरीत परिस्थितियों में काफी अधिक होती है। जिसके कारण यह सस्ती होती है। केसरी दाल के अधिक उपयोग से लेथीरिज्म हो जाती है।
●आर्जीमोन के बीज
आर्जीमोन पोस्ता जैसे पीले रंग के फूलों वाला पौधा है। आर्जीमोन के बीज सरसों के बीज के समान ही दिखते हैं तथा सरसों का तेल निकालते समय यह उसमें मिला दिए जाते हैं। इसका तेल बहुत ही विषैला होता है तथा इसे खाने वाले की आँखों की ज्योति जा सकती है। इससे एपीडेमिक डरोप्सी नामक रोग हो सकता है। डरोप्सी एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के ऊत्तकों व कैविटीज में पानी जैसा तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर में सूजन आ जाती है। इस बीमारी की शुरूआत पेट व आँत की गड़बड़ी से होती है। साथ ही अनियमित बुखार और शरीर के खुले रहने वाले अंगों की त्वचा पर असर होता है। रोग की तीव्रता के साथ यकृत बढ़ जाता है और ग्लूकोमा के कारण आँखों की रोशनी जाती रहती है। इस बीमारी से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
●मैटानिल यैलो
मैटानिल यैलो एक ऐसा खनिज रंग है जिसके प्रयोग की अनुमति नहीं दी जाती। इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों में अन्य खनिज रंगों के अलावा बहुतायत से होता है। इसका प्रयोग दालों, मसालों, मिठाइयों तथा बोतल बन्द पेय में बहुत होता है। मैटानिल यैलो जननांग पर असर करता हैं तथा इसके कारण बाँझपन भी हो सकता है। इसके अधिक उपयोग से कैंसर हो जाता है। मानसिक अवरुद्धता, रक्तहीनता तथा शरीर और रक्त में धातु या सीसा तत्त्व की अधिकता हो जाती है, जो हानिकारक होती है।
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