भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। किन्तु यदि किसी कारण वश भोजन दूषित हो जाये तो स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी डालता है। दूषित भोजन शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। खाद्य संदूषण के कई कारण हो सकते हैं। कुछ प्रमुख कारणों का वर्णन निम्नलिखित है--
भोज्य पदार्थों के दूषित होने के कारण
●खाद्य किण्वणों की क्रियाएँ
एन्जाइम एक ऐसा रासायनिक पदार्थ होता है, जो अन्य वस्तुओं के गुणधार्मों में बदलाव ला देता है। ये एन्जाइम कई प्रकार के होते हैं तथा इनकी प्रक्रिया से वस्तुओं में बदलाव भी कई तरह के हो जाते हैं।
●सूक्ष्मजीवों की प्रतिक्रियाएँ
सूक्ष्मजीव हर तरह के भोजन में अपनी उपस्थिति रखते हैं, क्योंकि वायु और मिट्टी में इनका प्रमुख निवास रहता है और यहीं पर इनकी वृद्धि भी होती है। सूक्ष्मजीवों की भूमिका लाभकारी या हानिकारक दोनों ही तरह की होती है, भोजन संदूषण के विषय में मूल रूप से तीन प्रकार के सूक्ष्मजीव प्रमुख हैं।
1-जीवाणु की क्रियाएं
भोज्य पदार्थों को दूषित करने वाले ये हानिकारक जीवाणु हवा, मिट्टी, धूल, पानी में रहते हैं और विभिन्न माध्यमों के जरिए से भोजन तक पहुँच कर उसे दूषित करते हैं। विषाणु और जीवाणु दोनों भोजन को दूषित कर खाने योग्य नहीं छोड़ते हैं। जैसे- टायफाइड, डिफ्थीरिया, डायरिया, कालरा, वायरल बुखार ये सब पानी और भोजन के दूषित होने से फैलते हैं। बिना ढका रखा खाना, बीमार जानवर का दूध या बीमार जानवर का मांस आदि जीवाणुओं से दूषित होता है। कई बार अणु जीव (Micro organism) के कारण भोजन दूषित हो जाता है।
2-फफूँदी का जमा होना
फफूंदी या फफूँद एक मुलायम हरे, भूरे या नीले रंग का पदार्थ होता है, जो किसी भोज्य पदार्थ की ऊपरी सतह या भोज्य पदार्थ के रखे जाने वाले बर्तन के किनारों पर दाग-धब्बों के रूप में दिखता है। ये पूर्णरूप से वायु जीव होते हैं तथा बासी खाद्य पदार्थ फफूँदी के आश्रय स्थल होते हैं। इसी कारण अचार, जैम, जैली आदि के ऊपर इनका प्रभाव तुरन्त होता है।
3-पेय पदार्थों का खमीरकरण
यह भी एक प्रकार की फफूँदी ही होता है जिनका ज्यादातर उपयोग शराब बनाने या पावरोटी को तैयार करने में होता है। खमीर अभिवृद्धि और गुणन विशेष रूप से अम्लीय वातावरण में होता है। फलों के रस तैयार करने में भी इसका उपयोग होता है। लाभकारी होने पर भी इसकी अधिक मात्र हानिकारक हो सकती है।
●कीड़े-मकोडों का प्रभाव
इनका अधिकतर प्रभाव अनाज, फल और सब्जियों पर परिलक्षित होता है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि कीड़े-मकोड़े 5 से 50% तक की हानि के लिए जिम्मेदार होते हैं।
●परजीवी की उपस्थिति
कुछ ऐसे जीव होते हैं, जो दूसरे जीवों पर आश्रित रहते हैं, इन्हें ही परजीवी कहा जाता है। इसका उदाहरण मांसाहारी जीव है। जिस भोजन को जानवर खाते हैं, उसमें कई तरह के जीव जानवर के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जब इन जानवरों का मांस मनुष्य या अन्य पशु खाते हैं तो इन जीवयुक्त मांस को ही अपने भोजन का अंग बनाता है। सही मायने में यह भोजन संदूषित होता है।
●कृप्तक प्राणी
इस श्रेणी में कुतर कर खाने वाले प्राणी आते हैं उदाहरणार्थ - चूहे । ये भोजन संदूषण के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार होते हैं।
●तापक्रम और नमी का कम या अधिक होना
भोजन को संदूषित करने में ताप और नमी की मुख्य भूमिका होती है। लगभग 10 डिग्री सेंटीग्रेट ताप पर पदार्थों के रासायनिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन पैदा हो जाता है। जहाँ काफी ज्यादा ताप से वस्तुओं की प्रोटीन की मात्रा में कमी, विटामिन का नाश, नमी की कमी से सूखापन तथा आकृति में बदलाव जैसी दशा पैदा हो जाती है। नमी भी भोजन संदूषण का कारण बनती हैं, क्योंकि नमी के कारण रासायनिक संक्रिया और सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
●वायु, प्रकाश और समय की विसंगतियां
वायु और ऑक्सीजन दोनों मिलकर भोजन के विघटन में कई विनाशकारी बदलाव ला देते हैं। इस बदलाव के परिणामस्वरूप भोजन के रंग, खुशबू, स्वाद इत्यादि में बदलाव आ जाता है। प्रकाश भोजन में विद्यमान विटामिन-ए और सी को खत्म कर देता है। भोजन के संदूषण में समय की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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