खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम के अनुसार खाद्य पदार्थ को कब मिलावटी समझा जायेगा?

खाद्य मिश्रण अधिनियम के अन्तर्गत आहार को किन परिस्थितियों में मिलावट युक्त समझा जाय इसका पता लगाते हैं। खाद्य पदार्थों में दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई मिलावट को देखकर भारत सरकार ने सन् 1954 में एक खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम बनाया। यह अधिनियम अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों के आधार पर तथा भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाया गया। इस अधिनियम को जून 1955 में लागू किया गया। खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम के अनुसार निम्न अवस्थाओं की किसी भी खाद्य सामग्री को मिलावट वाली समझा जाएगा।


●यदि खाद्य पदार्थ को तैयार करते समय किसी ऐसी प्रक्रिया का प्रयोग किया गया हो जिससे उसकी प्रकृति, तत्त्व तथा गुणवत्ता को हानि पहुँचती हों।
●यदि खाद्य पदार्थ में सड़ा-गला पदार्थ, घुन या कीड़े आदि हों।
●यदि वह अपने असली रूप, आकार और गुण वाला न हो।
●यदि उसमें से कोई तत्त्व आंशिक या पूर्ण रूप से निकाल दिया गया हो, जैसे- दूध में से क्रीम।
●खाद्य पदार्थ में कोई घटिया या सस्ता खाद्य पदार्थ मिला दिया गया हो अथवा स्वतः ही मिले हुए हों।
●यदि उसे अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार, पैक अथवा रखा गया हो।
●यदि खाद्य पदार्थ को ऐसे पैकिंग में रखा गया हो जिससे सामग्री विषैली अथवा हानिप्रद हो गई हो।
●यदि उसमें कोई वर्जित संरक्षित पदार्थ डाले गए हो , या निर्धारित से अधिक मात्रा में डाले गए हों।
●यदि उसमें कुछ विषैली तत्त्व हों, अथवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कोई भी चीज हो।
●यदि खाद्य पदार्थ किसी बीमार पशु से प्राप्त किया गया हो जैसे बीमार पशु का माँस, दूध आदि।
●खाद्य सामग्री में वर्जित रंगों का प्रयोग किया गया हो या निर्धारित से अधिक मात्रा में इस्तेमाल किया गया हो।
●यदि खाद्य पदार्थ में उपस्थित तत्त्व न्यूनतम मान्य नियमों के अनुसार न हों।

यदि किसी खाद्य पदार्थ में ऊपर लिखित में से कोई एक या एक से अधिक अवगुण पाए जाते हैं तो वह खाद्य पदार्थ मिलावटयुक्त माना जाएगा और उसे रखने, बेचने या लाने ले जाने वालों को कानून के अन्तर्गत सजा मिल सकती है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.