प्रत्येक कोशिका एक महीन झिल्ली द्वारा घिरी होती है जिसे कोशिका झिल्ली या cell membrane कहते हैं। यह झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य होती है।
कोशिका झिल्ली को प्लाज्मा झिल्ली या साइटोप्लाज्मिक झिल्ली के रूप में भी जाना जाता है, तथा ऐतिहासिक रूप से प्लाज्मालेमा के रूप में जाना जाता है। यह एक जैविक झिल्ली है, जो बाहरी कोशिकाओं से कोशिका के इंटीरियर को अलग करती है। इसमें एम्बेडेड प्रोटीन के साथ एक लिपिड बिलायर होता है।
कोशिका झिल्ली का मूल कार्य कोशिका को अपने आस-पास के बाहरी पदार्थों बचाना है। cell membrane कोशिकाओं और organelles के अंदर और बाहर पदार्थों के अतिक्रमण को नियंत्रित करती है। इस तरह, यह आयनों और कार्बनिक अणुओं के लिए selectively पारगम्य है। इसके अलावा, कोशिका झिल्ली विभिन्न प्रकार की सेलुलर प्रक्रियाओं जैसे कोशिका आसंजन, आयन चालकता और सेल सिग्नलिंग में शामिल होती है और सेलवाल सहित कार्बोहाइड्रेट परत, ग्लाइकोसाइलेक्स नामक कार्बोहाइड्रेट परत और इंट्रासेल्यूलर नेटवर्क सहित कई बाह्य कोशिकाओं के लिए संयोजक सतह के रूप में कार्य करती है।
कृत्रिम जीव विज्ञान के क्षेत्र में, cell membrane कृत्रिम रूप से इकट्ठा किया जा सकता है। इसे प्लाज्मा झिल्ली, प्रोटोप्लाज्म के बाहर एक इंटरफेस झिल्ली भी कहा जाता है। यह जन्तु कोशिकाओं में बाहरी परत है, और पौधे तथा जीवाणु कोशिकाओं में इसके बाहर एक सेलवाल होती है।
प्लाज्मा मेम्ब्रेन की मोटाई आमतौर पर 8 से 10 Nm होती है, कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण फोस्फॉलिपिड द्वारा होता है। कोशिका झिल्ली कोशिका के आकार को बनाए रखती है एवं जीव द्रव्य की सुरक्षा करती है। अन्तर कोशिकीय विसरण एवं परासरण की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह विभिन्न रचनाओं के निर्माण में भी सहायता करती है।
सेल मेम्ब्रेन की संरचना
1-द्विआण्विक लिपिड पत्रक मॉडल
इस मत का प्रतिपादन गोरटनर व ग्रेंडल ने किया, इनके अनुसार कोशिका झिल्ली में लिपिड्स की दो परते पायी जाती हैं।
2-लेमीलर मत
इस मत का प्रतिपादन डेनयाली व डेविडसन ने किया। इस मत के अनुसार कोशिका झिल्ली लिपो प्रोटीन की बनी होती है, इस मत के अनुसार लिपिड्स के दो स्तर पाये जाते हैं। इनके बाहर व भीतर की ओर प्रोटीन की परत पायी जाती है।
3--मिसेली मॉडल
इस मत का प्रतिपादन हिलेरी व हाफमैन ने किया। इस मत के अनुसार फास्फोलिपिड अणु विशेष व्यवस्था द्वारा ग्लोबूलर इकाई का निर्माण करते हैं। इसे मिसेली कहते हैं, प्रत्येक इकाई का व्यास 40 से 70 अंगस्ट्रम होता है। फास्फोलिपिड इकाई के बाहर की ओर प्रोटीन अणु पाये जाते है।
4-इकाई झिल्ली मत
इस मत का प्रतिपादन रोबर्टसन द्वारा किया गया, इस मत के अनुसार सभी कोशिकांग व कोशिका झिल्ली एक ही प्रकार की झिल्ली से परिबद्ध होते हैं। झिल्ली में 60% प्रोटीन व 40% लिपिड होती है। इस प्रकार की झिल्ली की संरचना त्रिस्तरीय होती है, तीनो परतों की गोटाई 75 से 90 एंगस्ट्रांग होती है, जिसमें फास्फोलिपिड की द्विआण्विक परत की मोटाई 25 से 35 एंगस्ट्रांग तथा प्रत्येक प्रोटीन की परत 20 से 25 एंगस्ट्रांग मोटी होती है।
5-द्रव मोजेक मॉडल
इस मत का प्रतिपादन सिंगर व निकोलसन ने किया। इस मत के अनुसार झिल्ली में द्विआण्विक लिपिड की परत होती है। लिपिड से निर्मित इस परत के बाहर परिधीय प्रोटीन होती है तथा लिपिड परत में धंसी हुई समाकलन या आंतरिक प्रोटीन होती है, इस प्रकार लिपिड तथा समाकलन प्रोटीन विसरित अवस्था में रहती है।
सेल मेम्ब्रेन की चयनात्मक पारगम्यता|Selective Permeability of Cell Membrane
चयनात्मक पारगम्यता (Selective Permeability) प्लाज्मा कला का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण है। यह कोशिका के अन्दर एवं कोशिका से बाहर पदार्थों के प्रवाह को नियंत्रित करती है। इसके अतिरिक्त कोशिका द्रव्य में घुलनशील पदार्थों की सान्द्रता में विभिन्नता बनाये रखती है। इसमें पाये जाने वाले छिद्र ही भिन्न-भिन्न पदार्थों के आवागमन का नियमन करते हैं। कुछ कम अणुभार वाले पदार्थ और ऑक्सीजन, कार्बन डाई ऑक्साइड व जल इसमें से आसानी से गुजर सकते हैं, लेकिन अन्य पदार्थ जैसे- सोडियम आयन, प्रोटीन एवं पॉलीसैकेटरॉइड्स ज्यादा कठिनाई से गुजर पाते हैं।
कोशिका कला की पारगम्यता पोटैशियम आयन (K+) की सान्द्रता में परिवर्तन के साथ बदलती रहती है। इसके अतिरिक्त विसरित होने वाले अणुओं का आकार, उनकी लिपिड में विलेयता, कोशिका के बाहर व अन्दर उनका सान्द्रण एवं विसरित कणों पर विद्युत आवेश सभी पारगम्यता को प्रभावित करते हैं।
प्लाज्मा झिल्ली की अर्ध-पारगम्यता
अर्ध पारगम्यता प्लाज्मा मेम्ब्रेन का आधारभूत लक्षण है। प्लाज्मा मेम्ब्रेन कोशिकाद्रव्य और कोशिका के बाह्य वातावरण के मध्य एक अर्ध पारगम्य अवरोध (semipermeable barrier) का कार्य करती है। जो कुछ अणुओं या आयनों को प्रसार के माध्यम से पारित करने की अनुमति देती है।
पारगम्यता, निष्क्रिय परिवहन या सक्रिय परिवहन की दर, अणुओं के दबाव, सांद्रता और तापमान पर भी निर्भर करती है, साथ ही दोनों तरफ झिल्ली के दबाव पर निर्भर करती है। कोशिका झिल्ली की अर्ध पारगम्यता के निम्नलिखित लाभ हैं--
●कोशिका के Intracellular एवं Extracellular द्रव के रासायनिक संघटन (Chemical Composition) में अन्तर बनाये रखती हैं।
●ग्लूकोज, अमीनो अम्लों और लिपिड आदि जरूरी पदार्थों के अणु सरलता से कोशिका के अन्दर पहुँच सकते हैं।
●इन सभी आवश्यक पदार्थों के अणु और उपापचयी उत्पाद (Metabolic Intermedinates) कोशिका के अन्दर संचित रखे जा सकते हैं।
●सभी हानिकारक अथवा अनुपयोगी उत्सर्जी उत्पाद कोशिका के बाहर निकाले जा सकते हैं।
●Intracellular Fluid एवं Interstitial or Intercellular Fluid के मध्य परासरण दाब (Osmotic Pressure) में सन्तुलन बनाये रखा जा सकता है।
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