ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति|origin of the universe

हमारा सौरमण्डल मंदाकिनी आकाशगंगा मे स्थित है। मंदाकिनी सदृश्य कई आकाश गंगाएं मिलकर एक "आकाशगंगा का पुंज (super cluster of galaxies)" बनाती हैं।

ब्रह्माण्ड किसे कहते हैं?

 आकाशगंगा के सभी पुंजों को सम्मिलित रूप से ब्रह्माण्ड(universe) कहते हैं। अथवा सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर महाकाय आकाशगंगाओं तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्माण्ड कहा जाता है।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सिद्धान्त


सतत सृष्टि सिद्धान्त(Steady state theory)

 इस सिद्धान्त को थामस गोल्ड तथा हर्मन बांडी ने 1948 मे दिया था। इसे स्थायी अवस्था सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार "ब्रह्माण्ड का न तो महाविस्फोट के साथ आरम्भ हुआ था और न ही कभी इसका अन्त होगा। अर्थात ब्रह्माण्ड का न आदि है और न अन्त। इसके अनुसार आकाशगंगाएं आपस में दूर तो होती जाती हैं। परन्तु उनका आकाशीय घनत्व अपरिवर्तित रहता हैं। यानी दूर होती आकाशगंगाओं के बीच की खाली जगहों में नई आकाशगंगायें बनती रहती हैं। इसीलिये ब्रह्माण्ड का पदार्थ घनत्व एक दम स्थिर बना रहता है।

ब्रह्माण्ड किसे कहते हैं?

दोलन सिद्धान्त--इसके प्रतिपादक डॉ. एलन संडेजा थे।

स्फीति सिद्धान्त(Inflationary theory)

 अमेरिकन वैज्ञानिक अलेन गुथ ने 1980 मे स्फीति सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्माण्ड के दृश्य द्रव्यमान की तुलना में उसका वास्तविक द्रव्यमान बहुत अधिक है। अर्थात ब्रह्माण्ड में डार्क मैटर्स का अस्तित्व हैं।
 स्फीति सिद्धान्त के अनुसार , विशालकाय अग्नि पिण्ड के विस्फोट के पश्चात अति अल्पकाल मे ब्रह्माण्ड का असाधारण त्वरित गति से फैलाव हुआ। और ब्रह्माण्ड के आकार में कई गुना वृद्धि हो गई। इसके बाद काले पदार्थो (dark matters) के समूहन से आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ। आकाशगंगाओं के विस्फोट से जनित पदार्थो के समूहन से निर्मित पिण्डों द्वारा तारों का निर्माण हुआ तथा तारों के विस्फोट से उत्पन्न पदार्थों के समूहन एवं संगठन से ग्रहों का निर्माण हुआ। जैसा कि ब्रह्मांड का वर्तमान स्वरूप है।

ब्रह्माण्ड उत्पत्ति का बिग बैंग सिद्धान्त


 इस सिद्धान्त के प्रतिपादक एबे जार्ज लैमेंतेयर थे। यह सिद्धान्त अधिक मान्यता प्राप्त है। बिग बैंग थ्योरी ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, आकाशगंगा और सौर्यमंडल की उत्पत्ति से सम्बंधित है। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन जार्ज लैमेंतेयर ने 1894 से 1896 के मध्य किया था। बाद में रॉबर्ट बेगोनर ने 1967 में इस सिद्धान्त की व्याख्या प्रस्तुत की।

 वह अवस्था जब सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक गर्म एवं सघन बिन्दु पर,आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व केन्द्रित था। इस बिन्दु को वैज्ञानिकों ने विलक्षणता का बिन्दु (Point of singularity) कहा। अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिन्दु मे आकस्मिक महाविस्फोट हुआ जिसे Big Bang या ब्रह्माण्ड विस्फोट (Cosmic Explosion) की उपमा दी गई।

 इसी विस्फोट के साथ ही समय,स्थान एवं वस्तु की व्युत्पत्ति हुई। इस महा विस्फोट के फलस्वरूप बिन्दु का विस्तार होना शुरू हो गया और यह विस्तृत होकर volley ball के आकार का हो गया। जो बाद मे fireball के सदृश्य हो गया। जिसका अर्धव्यास लगभग 10 अरब मील था। Fireball अवस्था के पश्चात जब ब्रह्माण्ड की आयु एक सेकेंड की हुई और उसका ताप कुछ कम हुआ। तो मूल कणों तथा प्रतिकणों की व्युत्पत्ति हुई। इन कणों ने आगे चल कर परमाणु का निर्माण किया।

 विस्फोट के एक मिनट पश्चात ब्रह्माण्ड और भी विस्तृत होकर एक बड़ा ताप नाभिकीय रिएक्टर हो गया। जिससे हाइड्रोजन नाभिकों के संयलन से हीलियम नाभिक बनें। Big bang के लगभग एक खरब वर्षों के बाद हाइड्रोजन तथा हीलियम के बादल संकुचित होकर आकाशगंगाओं तथा तारों का निर्माण करने लगे। सूर्य तथा अन्य तारों के संगठन का लगभग 98%भाग हाइड्रोजन तथा हीलियम का बना हुआ है। हमारा सौर्यमंडल लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व बना।

 आज आकाश गंगाएं सुपेरक्लस्टर के रूप में पुंजीभूत है। ये पुंजीभूत आकाशगगाएं एक दूसरे पुंजों से 100 से 400 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है।इनके मध्य एक काला स्थान है। अपने निर्माण काल के समय से प्राप्त आवेग के कारण इनके मध्य की दूरी बढ़ती जा रही हैं।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के अध्ययन से सम्बन्धित प्रमुख मिशन


WMAP--WMAP(Wilkinson Microwave Anisotropy Probe) नासा द्वारा big  bang theory की पुष्टि के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया उपग्रह है। इसके द्वारा भेजे गए तथ्यों के आकलन से यह स्पष्ट हो गया है।कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले big bang(महाविस्फोट) से हुई।

COBE PLAN--बिग बैंग के रहस्यों का पता लगाने के लिए USA वैज्ञानिक जॉन मेदर कोबे योजना का प्रारम्भ किया गया था। cobe(Cosmic Back ground Explore) उपग्रह को ध्रुवीय कक्षा मे स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य बिग बैंग के समय की स्थितियों का पता लगाना था। इस उपग्रह के माध्यम से cosmic back ground radiation या फोटॉन के अध्ययन किया गया।
LARGE HADRON COLLIDER या महामशीन--ब्रह्माण्ड के रहस्यों का पता लगाने के लिए यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर रिसर्च  द्वारा जेनेवा में स्थापित महामशीन ने फरवरी 2010 मे पुनः कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। बिग बैंग के समय की परिस्थितियाँ उत्पन्न कर उनका अध्ययन करना है।

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