भोजन का संदूषण भोजन में जहरीला प्रभाव उत्पन्न करता है, इसी जहरीले प्रभाव को फूड पॉइजनिंग की संज्ञा दी जाती है। यह अनेक रोगों को जन्म देकर, मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इससे रोगी शारीरिक रूप से दुर्बल हो जाता है। कुछ खाद्य विषाक्तताओं के कारण मृत्यु भी हो जाती है।
खाद्य विषाक्तता के कारण
●जीवाणुओं की प्रतिक्रियाएं
जीवाणु भोज्य पदार्थों को विषाक्त करते हैं। जीवाणुओं से विषाक्त भोजन को खाने से उनका हानिकारक प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है। गर्मी के मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा प्रभावी होते हैं, क्योंकि जीवाणु वातावरण में तभी मिल पाते हैं जब यह पूर्णतया शुष्क हो, गीली स्थिति में यह वातावरण में नहीं मिल पाते। इसलिए आर्द्रता वाले मौसम में नहीं फैल पाते हैं। बैक्टीरिया मिट्टी, हवा, धूल, पानी द्वारा भोजन तक पहुँचते हैं। अगर बैक्टीरिया भोजन को दूषित कर देते हैं और उस भोजन को मनुष्य खाता है तो दाँतदर्द, सिरदर्द, पेटदर्द, उल्टी, बुखार, मांसपेशियों में ऐंठन इत्यादि की शिकायत होती है।
●वायरस की प्रतिक्रियाएं
वायरस भी जीवाणुओं के समान ही भोजन को विषाक्त करते हैं। वायरस मनुष्यों तथा जानवरों के गले और पाचन संस्थान में रहते हैं और मल के जरिये उनके शरीर से बाहर निकलते हैं। इसके बाद अन्य माध्यमों जैसे- कीड़े-मकोड़ों, हवा, मक्खी आदि द्वारा फिर से भोजन में पहुँच जाते हैं और भोजन को विषाक्त कर देते हैं।
उच्च तापक्रम पर भोज्य पदार्थों को गर्म करने से ये खत्म हो जाते हैं। इन्हें नष्ट करने के लिए 55°C पर लगभग आधा घण्टे तक गर्म किया जाता है। वायरस द्वारा विषाक्त भोजन पोलियो रोग को फैलाते हैं। विज्ञान ने इस बीमारी से बचने के लिये पोलियो के ड्राप्स निकाले हैं जिनकी तीन खुराकें जन्म के 3 माह से दी जाती है।
●परजीवी कृमि की क्रियाएं
मूल रूप से परजीवी कृमि मनुष्य तथा जानवरों की आँतों तथा मांसपेशियों में पाये जाते हैं। ये परजीवी कृमि हानिकारक और लाभदायक दोनों श्रेणियों के होते हैं। परजीवी कृमि के अंडे मक्खियों के द्वारा भोजन तक पहुँच जाते हैं और उस भोजन के माध्यम से मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट कर जाते हैं। पाचन संस्थान पर परजीवी कृमि असर डालते हैं। मनुष्य के शरीर में टेपवर्म, ट्राइचिनोसिस, राउन्डवर्म, एसकेरिस परजीवी पाये जाते हैं।
मिट्टी के द्वारा भी परजीवी मनुष्य के शरीर तक पहुँचते हैं, जो बच्चे मिट्टी खाते हैं, उनके शरीर में भी ये सरलता से पहुँच जाते हैं। मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के परजीवी कृमि पाये जाते हैं। इन सबमें एण्ट अमीबा हिस्टोलिका परजीवी भोजन को विषाक्त करने में सबसे ज्यादा सहायक होता है।
●जहरीले पेड़-पौधे
पेड़-पौधों की कुछ जातियाँ जहरीली होती हैं। जो खाये जाने वाली पत्तेदार सब्जियों, सलाद, पालक, मेथी आदि से मिलती-जुलती हैं और धोखे से खा ली जाती हैं। ये पौधे क्षारीय विषैले होते हैं। कुकुरमुत्ते की भी एक जाति विषैली होती है। विषैली जाति के पेड़-पौधों की सब्जियों का उपयोग करने से विषैला प्रभाव पैदा होता है, जो फूड पॉइजनिंग उत्पन्न करता है।
●जहरीले जानवर
घोंघा जाति की मछली तथा कुछ अन्य विषैली मछलियाँ भी होती हैं, जिनके तन्तु वाले भाग में विषैला अंश पाया जाता है। ये मछलियाँ ज्यादातर जापान में होती हैं। इन मछलियों को खाने से पाचन संस्थान सम्बन्धी दोष पैदा होते हैं। उल्टी, दस्त की शिकायत होने लगती है।
●रेडियोएक्टिव फैलाव
अणु बम के विस्फोट से वातावरण में आइसोटोप्स की संख्या अत्यधिक बढ़ हो जाती है, जो कि धीरे-धीरे भूमि की ऊपरी सतह वनस्पति, पानी को दूषित कर देते हैं और ये रेडियोएक्टिव फैलाव जानवर, वनस्पति, दूध द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट कर जाते हैं। यदि इन तत्वों की शरीर में मात्रा बढ़ जाये तो कैंसर हो जाता है।
●मिलावट
भोजन को स्वाद, गन्ध, रंग देने वाले मसालों में कई प्रकार की मिलावट की जाती है। उदाहरणार्थ- मिर्ची, हल्दी को तेज रंग देने के लिये उसमें लेड ऑक्साइड मिलाया जाता है। लेड ऑक्साइड (सीसा) शरीर में किडनी और रक्त धमनियों में परिवर्तित कर रक्ताल्पता पैदा करता है।
●रासायनिक रासायनिक फूड पॉइज़निंग
भोजन में कभी-कभी रासायनिक विषैले पदार्थ मिल जाते हैं, जो भोजन को विषाक्त कर देते हैं। जैसे- अगर अम्लीय भोज्य पदार्थों को पीतल के बर्तन में पकाया जाये तो पीतल से रासायनिक क्रिया के कारण विषैला पदार्थ उत्पन्न होकर भोजन को जहरीला बनाता है। एल्यूमिनियम और जस्ते बर्तन में भी विषाक्त प्रभाव उत्पन्न होता है। टिन में बन्द संरक्षित भोज्य पदार्थ टिन में जंग लगने के कारण विषाक्त हो जाते हैं। घर में अगर मच्छर , चूहे , तिलचट्टे , मक्खी मारने के लिये दवा का छिड़काव करें तो ध्यान रखें कि खाने की वस्तुओं से इनका सम्पर्क न हो वरना इनका प्रभाव खाद्य पदार्थों को विषाक्त कर देगा।
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