कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के यौगिक होते हैं। इनमें C, H तथा O का अनुपात 1:2:1 के अनुपात में होता है।
रासायनिक रूप से कार्बोहाइड्रेट जलयोजित कार्बन के यौगिक होते हैं। अधिकांशतः कार्बोहाइड्रेट ऐल्डीहाइड्स, कीटोन्स या ऐल्कोहॉल्स के रूप में होते हैं।
शरीर में कार्बोहाइड्रेट की खपत ईंधन पदार्थों के रूप में ऊर्जा उत्पादन के लिए होती है। भोजन में कार्बोहाइड्रेट शर्कराओं और मण्ड (स्टार्च) के रूप में होते हैं।
कार्बोहाइड्रेट का निर्माण पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) की क्रिया द्वारा करते हैं। पौधों में क्लोरोफिल नामक वर्णक उपस्थित होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है।
कार्बन डाइऑक्साइड+जल+सूर्य प्रकाश--->कार्बोहाइड्रेट+ऑक्सीजन
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत
शक्कर, अनाजों, दालों तथा सूखे फल कार्बोहाइड्रेट के प्रचुर स्रोत हैं। शक्कर तथा गुड़ कार्बोहाइड्रेट प्रमुख स्रोत हैं। शक्कर में तो केवल कार्बोहाइड्रेट ही उपस्थित होता है।
खाद्य पदार्थ कार्बोहाइड्रेट की % मात्रा
●गन्ना 99.4%
●गुड़ 95.0%
●चावल 79.0%
●किसमिस 77.3%
●मैदा 73.9%
●आटा 69.0%
●मिल्क पाउडर 51.0%
●दालें 55 से 66%
●जिमीकंद 28.0%
●अरबी, आलू, शकरकन्दी 22.0%
●आम 16.2%
●अंजीर 15.2%
●सेब 13.3%
●नाशपाती 11.6%
●भैंस के दूध का छेना 07.9%
●केला और दूध 04.4%
प्रतिदिन खाने में उपयोग किये जाने वाले शर्करा युक्त भोज्य पदार्थों से काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है।
कार्बोहाइड्रेट्स के प्रकार
रासायनिक संघटन के आधार पर कार्बोहाइड्रेट्स को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।
●मोनोसैकराइड्स
मोनोसैकराइड्स सरलतम, रंगहीन, घुलनशील तथा मीठे कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। इसीलिए इन्हें शर्कराएं कहा जाता है। इनके एक अणु में तीन से सात कार्बन परमाणु होते हैं।
जीव मुख्यतः पांच या छः कार्बन परमाणुओं वाली शर्कराओं का उपयोग करते हैं। छः कार्बनीय शर्कराओं में ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं गैलेक्टोज आदि प्रमुख हैं। ये मीठे फलों और शहद में अधिकता में पायी जाती हैं। ग्लूकोज सबसे महत्वपूर्ण शर्करा है। शरीर में ऊर्जा प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम इसी का ऑक्सीजन होता है।
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जीवतंत्र में पांच कार्बनीय शर्कराओं में राइबोस तथा डीऑक्सीराइबोस सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। क्योंकि ये RNA एवं DNA के संयोजन में भाग लेती हैं। RNA में राइबोस शर्करा तथा DNA में डीऑक्सीराइबोस शर्करा पायी जाती हैं।
●डाईसैकराइड्स
जब समान या भिन्न मोनोसैकराइड्स दो अणु परस्पर ग्लाइकोसिडिक बन्ध के द्वारा जुड़ते हैं तब डाईसैकराइड्स का एक अणु बनता है। इस प्रक्रिया में जल का एक अणु बाहर निकलता है। अतः यह अभिक्रिया संघनन संश्लेषण कहलाती है।
डाईसैकराइड्स शर्कराएं भी मीठी तथा जल में घुलनशील होती हैं। माल्टोस, सुक्रोज एवं लैक्टोज आदि डाईसैकराइड्स शर्कराओं के उदाहरण हैं।
माल्टोस डाईसैकराइड्स शर्करा का संघनन ग्लूकोज के दो अणुओं से, सुक्रोस डाईसैकराइड्स शर्करा का संघनन ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज के अणुओं से, लैक्टोज डाईसैकराइड्स शर्करा का संघनन ग्लूकोज तथा गैलेक्टोज के अणुओं से होता है।
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माल्टोज को माल्ट शर्करा कहते हैं क्योंकि यह अंकुरित बीजों में प्राप्त होती है। सुक्रोज को ईख शर्करा कहते हैं क्योंकि इसका मुख्य स्रोत गन्ना है। लैक्टोज को दुग्ध शर्करा कहते हैं क्योंकि यह दूध (मिल्क) में प्राप्त होती है। लैक्टोज की सर्वाधिक प्रतिशत मात्रा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दुग्ध में होती है।
●ओलिगोसैकराइड्स
जब तीन से दस तक मोनोसैकराइड्स के अणु आपस में ग्लाइकोसिडिक बन्ध द्वारा जुड़कर एक अणु बनाते हैं। तब ऐसे कार्बोहाइड्रेट को ओलिगोसैकराइड्स कहते हैं। ये भी जल में घुलनशील होते हैं।
●पॉलीसैकराइड्स
जब मोनोसैकराइड्स के कई अणु (दस से अधिक) आपस में जुड़कर एक लम्बी श्रंखला वाले अघुलनशील तथा जटिल अणु बनाते हैं। ऐसे अणु को पॉलीसैकराइड्स कहते हैं। इस प्रक्रिया को बहुलकीकरण (पॉलीमेरिजेसन) कहते हैं। जैसे- मण्ड
मनुष्य तथा अन्य जन्तुओं के भोजन में मण्ड (स्टार्च) तथा शर्करा (सुगर) दोनों ही काफी अधिक मात्रा में रहते हैं। पाचन द्वारा इन्हें मोनोसैकराइड्स तोड़ा जाता है।
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सेलुलोस पौधों में पाया जाने वाला पॉलीसैकराइड्स है। जिसका मनुष्य तथा कई अन्य स्तनी नहीं कर सकते, किन्तु जुगाली करने वाले जन्तु तथा दीमक सेलुलोस का पाचन कर सकते हैं।
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