सल्तनत कालीन साहित्य एवं भाषा के विकास में दिल्ली के तुर्क एवं अफगान शासकों का उल्लेखनीय योगदान रहा। साहित्यिक दृष्टि से सल्तनत काल उत्तम रहा।
शिक्षा के विकास तथा भक्ति व सूफी आन्दोलनों के उदय ने साहित्यिक प्रगति को बढ़ावा दिया। फलस्वरूप अरबी, फारसी, संस्कृत, हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनेक ऐतिहासिक पुस्तकों, धार्मिक ग्रन्थों, काव्य, नाटक तथा गद्य-पद्य की रचना हुई।
"तुर्क शासकों की मातृभाषा 'तुर्की', प्रशासनिक भाषा 'फारसी' तथा धार्मिक कार्यों की भाषा 'अरबी' थी।"
भारत में फारसी साहित्य का विकास 10वीं शताब्दी के दौरान मुस्लिम विजेताओं के आगमन के साथ हुआ। भारत में फारसी भाषा के अध्ययन अध्यापन का पहला केन्द्र लाहौर था।
दिल्ली सल्तनत की स्थापना के साथ ही फारसी को राजभाषा बनाया गया। फलस्वरूप दिल्ली व इसके आस-पास फारसी भाषा का प्रचार बढ़ने लगा। फलस्वरूप बाह्म देशों के सूफी, कवि तथा दार्शनिक दिल्ली और इसके अधीन नगरों की ओर आकृष्ट हुए और अपना निवास स्थान बनाया।
सल्तनत कालीन साहित्य की ऐतिहासिक कृतियाँ
01-चचनामा--अली अहमद द्वारा अरबी भाषा में लिखित इस ग्रन्थ में अरबों द्वारा सिन्ध विजय का वर्णन मिलता है।
02-तारीखे सिन्ध या तारीखे मासूमी--मुहम्मद मासूम द्वारा रचित इस कृति में अरबों की विजय से लेकर अकबर के शासनकाल तक का इतिहास मिलता है।
अन्य पोस्ट-- सल्तनत कालीन कर व्यवस्था
03-किताब-उल-यामिनी--अबू नस्र बिन मुहम्मद जबरुल उतबी द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक में सुबुक्तगीन एवं महमूद गजनवी के शासनकाल का वर्णन मिलता है।
04-जैन-उल-अखबार--अबू सईद द्वारा लिखित इस ग्रन्थ में ईरान के इतिहास एवं महमूद गजनवी के विषय में जानकारी मिलती है।
05-तारीख-ए-मसूदी--अबुल फजल मुहम्मद बिन हुसैन अल बहरी द्वारा रचित इस पुस्तक में महमूद गजनवी तथा मसूद के विषय में जानकारी मिलती है।
06-तारीख-उल-हिन्द--इसे "किताबुल हिन्द" भी कहते हैं। अलबरूनी की इस महत्वपूर्ण कृति में 11वीं शदी के भारत की राजनैतिक एवं सामाजिक दशा का उल्लेख मिलता है।
07-कमीलुत तवारीख--1230 ई. में शेख अब्दुल हसन द्वारा लिखे गये इस ग्रन्थ में मध्य एशिया के गोर शंसबानी राजवंश के इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है।
08-ताजुल मासिर--हसन निजामी द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में मुहम्मद गोरी के भारत पर आक्रमण के समय की घटनाओं का वर्णन मिलता है।
09-तबकाते नासिरी--मिनहाज-उस-सिराज द्वारा रचित इस पुस्तक में तुर्की सल्तनत का आरम्भिक इतिहास लगभग 1260 ई. की जानकारी मिलती है। मिनहाज ने अपनी इस कृति को गुलाम वंश के शासक नासिरुद्दीन महमूद को समर्पित किया था। उस समय मिनहाज दिल्ली का मुख्य काजी था।
10-तारिखे फिरोज शाही--जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखित इस ग्रन्थ में बलबन के राज्याभिषेक से लेकर फिरोज तुगलक के शासन के छंटे वर्ष तक की जानकारी मिलती हैं। इसके अतिरिक्त जियाउद्दीन बरनी की कुछ अन्य कृतियाँ हैं-फतवा-ए-जहांदारी, सनाए मुहमदी, सलाते कबीर, इनायत नामाए, इलाही, मासीर, सादात, हसरत नामा, तारीखे वमलियान आदि। फतवा-ए-जहांदारी में सल्तनत कालीन विचारधारा की सही तस्वीर प्रस्तुत की गई है।
अमीर खुसरो की कुछ प्रमुख कृतियाँ
11-खजियान-उल-फतूह--इसे "तारीखे अलाई" के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पूर्व के 15 वर्षों की घटनाओं का वर्णन मिलता है।
अन्य पोस्ट-- सल्तनत कालीन स्थापत्यकला
12-किरान-उस-सादेन--अमीर खुसरो द्वारा 1289 ई. में लिखी गयी इस पुस्तक में बुरारा खां और उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है।
13--मिफता-उल-फतूह--इस पुस्तक में जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों, मलिक छज्जू का विद्रोह एवं उसका दमन, रणथम्भौर पर सुल्तान की चढ़ाई और झायन की विजयों का वर्णन है।
14-नूर-सिपेहर--इस पुस्तक में मुबारक खिलजी के समय की सामाजिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
15-तुगलक नामा--अमीर खुसरो की इस अन्तिम एवं ऐतिहासिक कृति में खुसरो शाह के विरुद्ध गयासुद्दीन तुगलक की विजय का उल्लेख है। इनके अतिरिक्त अमीर खुसरो की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं-आशिका-उल-अनवर, शीरी व फरहाद, लैला व मजनू, आइने सिकन्दरी, उल-फरायद, तारीखे दिल्ली आदि।
16-फुतूह-उस-सलातीन--ख्वाजा अबूबक्र इसामी द्वारा रचित इस पुस्तक में गजनवी वंश के समय से लेकर मुहम्मद विन तुगलक के समय तक का काव्यात्मक इतिहास मिलता है। यह पुस्तक बहमनी वंश के प्रथम शासक अलाउद्दीन को समर्पित है।
16-किताब-उल-रहला--यह पुस्तक मोरक्को का निवासी इब्नबतूता (जो 1333 ई. में भारत आया था) का यात्रा वृत्तान्त हैं। उस समय दिल्ली का शासक मुहम्मद तुगलक था। इस पुस्तक में 1333 ई. से लेकर 1352 ई. तक के भारत की राजनैतिक गतिविधियों एवं सामाजिक हालतों का वर्णन मिलता है। इसे मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
17-तारीख-ए-फिरोजशाही--शम्स-ए-सिराज अफीफ द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक में फिरोज तुगलक के शासनकाल एवं तुगलक वंश के पतन के बारे में जानकारी मिलती है। शम्स-ए-सिराज की अन्य मुख्य कृतियाँ मन की वें अलाई, मना की वे सुल्तान मुहम्मद, जिक्रे खरावीये देहली आदि हैं।
पोस्टअन्य-- सल्तनत कालीन प्रशासनिक व्यवस्था
18-फतूहाते फिरोजशाही--इस किताब में फिरोज तुगलक के अध्यादेशों का संग्रह एवं उसकी आत्मकथा है।
19-तारीख-ए-मुबारख शाही--याहिया-बिन-अहमद सरहिन्दी द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में सैय्यद वंश के विषय में जानकारी मिलती है। इस काल को जानने का यह एकमात्र श्रोत है।
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